"दिल की आवाज"
कहते है लड़कियो को इंजिनियर नहीं बनना चाहिए। आर्मी ऑफिसर नहीं बनना चाहिए। उसको एर फोर्स नहीं जॉइन करना चाहिए। उसको स्पोर्ट्स में आगे नहीं बढ़ ना चाहिए। उसको एक्ट्रेस नहीं बनना चाहिए। उसको पायलट नहीं बनना चाहिए। क्या कुछ नहीं करना चाहिए बताइए ?
क्यू की ज्यादातर लोग मानते है कि हर जगह लडको की है ओर अब तो रसोई शो भी लड़के चला रहे है। तो कभी यह भी कह दीजिए कि मां या मेरी पत्नी अब से खाना में बनाऊंगा।
जब लड़कियों ने आपको नाचने से खेल ने से रसोई में आने से, फेशन डिज़ाइनर बनने से, टीचर बनने से हा टीचर भी क्यू की बेस्ट टीचर ओरत यानी मां ही होती है। इन सब में पुरुषों को परमीशन है मान सम्मान है। पर कई ऐसी लड़कियां है जो स्पोर्ट्स में आगे बढ़ना चाहती है। खेलना चाहती है। पर क्या वह खेलेंगी तो बेट को बुरा लगेगा ? रेकेट बोलेगा की नहीं मुझे मत छूना की जमीन बोलेगी की नहीं तुम लड़की हो तुम मुज पर खड़ी रेहके आगे नहीं बढ़ सकती। सब प्रॉब्लम हमारे मन को है। अगर मन कितना भी सौंदर्य क्यू न हो पर अंदर सुविचार की जगह कुविचार भरे है। तो वह मगज एक गध्धा समान है।
हर कोई लड़की कोई अच्छा लड़का देख के उसके साथ भागना नहीं चाहती। वह अपने दम पर अपने सपनों के साथ उड़ना चाहती है। अगर अपनी बेटी या बहन की इतनी ही फिकर है तो उसका साथ दो पूछो उनसे की उनकी पसंद ना पसंद क्या है। उसका गोल क्या है। उसका सपना क्या है। ओवर केरिंग मत करे। अगर उनसे गलती होगी तो समझ में आएगा कि यह गलत है या गलत हो रहा है। "उसको नादान नहीं आजाद करे"।
कोइ मां बहन या पत्नी ने उसके बेटे को इसीलिए जन्म नहीं दिया कि बड़ा होके वह कोई दूसरी लड़की को काबू में रखे या अपनी बेटी के सपने को मार दे।
ओर पता है सबसे बड़ा गुनाह तो यह है कि हम किसी के करियर को बर्बाद करे। हम अपनी खुशी के लिए किसी और के सपने को मरे हुए शव की तरह आग में जला दे या मिट्टी में दफनादे। क्या यह सही है ?
खेर जो आपको सही लगे पर एक लड़की की आत्मा की आवाज तो यह ही कहती है ओर कहेगी…..
बीते को अब मुझे भूलना है।
आगे को अब संवारना है।
हौसला तो बनाई रखना है।
संभल के अब चलना है।
खोफ़ खुद दूर भगाना है।
अपने को वापस पाना है।
प्यार विश्वास से निभाना है।
दस्ता ए दर्द को मिटाना है।
पंछी की तरह दूर उड़ना है।
जमीन से आसमान छूना है।
सब कुछ अब नया करना है
फिर भी…..
आज़ाद ज़िंदगी मुझे जीना है ।
- अलीशा