सुबह हो या श्याम कल हो या अब
आपकी याद में इतने पन्ने लिख लिए
की
अब तो शाही भी इन्कार कर रही है
आपके नाम का दीदार करने से।
सुबह हो या श्याम कल हो या अब
आपकी याद में इतने पन्ने लिख लिए
की
अब तो शाही भी इन्कार कर रही है
आपके नाम का दीदार करने से।
हम इश्क में इतने डूब गए की
अब तो किनारा ही नहीं मिलता।
दुनिया में कहीं खो गए की
अब तो रास्ता ही नहीं मिलता।
इस कदर हम टूट गए है की
अब तो दिल कहीं नहीं मिलता।
अपनो ने हमे ठुकराया की
यहां औरो से प्यार कहा मिलता।
दर्द ए दिल इतना तड़पा की
मरहम यहां कहां मिलता।
हम केद है तेरे इश्क के पिंजरे में
यहां आसमान कहां मिलता।
- अलीशा
Rehabilation Priya/Doctor Priya bed par soi hai doctor ko dekh kar bed se uthti hai, (Doctor apni unglio se ek do tin aisa dikhate hai pr...