सुबह हो या श्याम कल हो या अबआपकी याद में इतने पन्ने लिख लिएकीअब तो शाही भी इन्कार कर रही हैआपके नाम का दीदार करने से।
मत बनाओ किसी को रंजीदा, छोटी सी ज़िंदगी है, मोहब्बत से जिया करो। हर दिल में दर्द छुपा बैठा है, तुम अपने लफ़्ज़ों से राहत दिया करो। नफ़रतों क...
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