Alisha vaghasiya
Thursday, 4 April 2019
Paper 7 Literary Criticism
Paper 7 literary criticism
from
AlishaVaghasiya
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
हर कोई हमदर्द नहीं होता। कुछ लोग तुम्हारा दुख जानकर चैन की नींद सोते हैं। इसलिए सबसे मुस्कुरा कर...
(no title)
कुछ बातें हमें बर्दास्त कर नी पड़ती है.. क्योंकि उनसे हमारे अपनों की खुशिया जुडी होती है.. और अपनों की खुशियों के आगे तो कुछ भी नहीं है..
(no title)
हर कोई हमदर्द नहीं होता। कुछ लोग तुम्हारा दुख जानकर चैन की नींद सोते हैं। इसलिए सबसे मुस्कुरा कर...
(no title)
ज़िन्दगी में कब क्या हो जायेगा कुछ नहीं पता इसलिए सब के साथ प्यार से रहो...
No comments:
Post a Comment