जिस लड़की ने एक शूरवीर को जन्म दिया, जिस मां ने एक आर्मीमेन को जन्म दिया एक पुलिस मेन को जन्म दिया उसे हम यह सिखाएंगे की तुम्हे यह नहीं करना चाहिए तुम्हे वहा नहीं जाना चाहिए।
यह समाज के नियम को बनाने वाले हम थे और हम है। मंगल से या शनि से कोई कहने नही आया था की यह काम लड़की का हैं ओर यह काम लड़के का है। यह वक्त लड़की का ओर यह वक्त लड़की का ? काम उतना ही या फिर उनसे ज्यादा फिर भी सैलरी कम...
अपने बच्चे को बोलना एक लड़की एक औरत एक मां सिखाती है। ओर उसको हम वकालत करने से वकील बनने से रोकते है। जिस बच्चे को हंसना सिखाते है। उसे हम एंटरटेनमेंट करने से रोकते है। जिस मां ने प्यार करना प्यार देना सिखाया उस लड़की को हम प्यार करने से रोकते है। क्या दुनिया और क्या जालिम जमाना।
और तो और जिस लड़की ने अपने बच्चे को अपनी कोख से जन्म दिया उस लड़की को हम पेरियड्स में मंदिर जाने से रोकते है। की भगवान को अच्छा नहीं लगेगा हमारे छूने से भगवान नाराज हो जाएंगे। हमे पाप लगेगा। बच्चा नहीं होगा क्या कुछ नहीं सुनाया ओर कितना अब तक सुना। यह समझ में नही आता की भगवान को बुरा लगता या वह नाराज होते तो उसने इंसान क्यू बनाया?
अरे अभी भी कई ऐसी स्कूल है वहा यूनिफॉर्म लड़की के लिए सलवार कमीज़ और दुपट्टा है माना की लाज शर्म हमारी संस्कृति है पर कभी ऐसा सोचा कि उसमे वह कंफर्टेबल है कि नही?
बेटा बेटी एक समान कहते है एक समान मानते है। कभी ऐसा तो नहीं देखा की घर में गेस्ट आए और पानी अपने बेटे ने दिया हो। बेटी अपना काम छोड़ के गेस्ट को अटेंशन देगी। क्यू की बचपन से कहा गया है की पानी के पांच पुन्य हैं। तो कभी वह पुन्य का मोका बेटे को भी मिलना चाहिए की नहीं?
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