Wednesday, 28 April 2021

तकलीफ तकदीर और सफलता

वो ख्वाइश भी सही नहीं
जो मुमकिन हो ना सके।

वो यादें भी  सही नहीं
जो  साथ रह ना सके।

वो प्यार भी सही नहीं
जो मुस्कुराहट बन ना सके।

वो तन्हाइयां भी सही नहीं
जो इस कदर रुला ना सकेे।

वो ख्वाब भी सही नहीं
जो खुली आंखो से पूरे ना हो सके।                                 - अलीशा




Sunday, 25 April 2021

यहां आसमान कहां मिलता।

 हम इश्क में इतने डूब गए की

अब तो किनारा ही नहीं मिलता।


दुनिया में कहीं खो गए की

अब तो रास्ता ही नहीं मिलता।


इस कदर हम टूट गए है की

अब तो दिल कहीं नहीं मिलता।


अपनो ने हमे ठुकराया की

यहां औरो से प्यार कहा मिलता।


दर्द ए दिल इतना तड़पा की

मरहम यहां कहां मिलता।


हम केद है तेरे इश्क के पिंजरे में

यहां आसमान कहां मिलता।

                           - अलीशा




Wednesday, 7 April 2021

बताओ कैसे करे इस दिल से समझोता?

तु कहता है कि इश्क है मूजसे,

पर तु इश्क़ मुजसे नाप के करेगा,

तो कैसे बनेगा मेरा आशियाना।

तु यू हर एक से करेगा वादा,

तो कैसे बंधेगा ये मेरा धागा।

तु जिस्म का खेल मुजसे ओर, 

रूह में किसी और से मिलेगा।

तो बताए कैसे हम जीयेंगे ?

तु कहता है तुम बहुत अच्छी हो।

पर अच्छी बाते उनसे करोगे,

तो किस के पास हम रोएंगे।

तुम अरमान हो मेरे कहते हो, 

पर ओर वो लाला जोड़ा उनका?

कैसे करे हम इस दिल से समझोता।

                               - अलीशा 

               



Thank you brother


 

3 character
1 little girl :- Anu
2 mature boy :- Nishant
3 mature girl :- Roshni

Thank you brother

(रोड पर एक बेंच है वहां पे अनु बेटी है। थोड़ी गभराई हुई है। रास्ते पर लोगो को देख रही है। दो तीन लोग अनु को देखते है पर कोई उसके पास जा नही रहा है। अनु की आंख में हल्का सा पानी आ जाता है। तभी सामने से निशांत कार लेके आता है खुद ड्राइव कर रहा है। कान में ब्लूथूट है।

Nishant :- ha.. ha.. me  pakka aa raha hu. maine tumhare liya gift bhi liya hai.

(voice over) gift.. kya hai batao muje.

Nishant :- (baju ki seat me dekhta hai aur red color ka gift pack hai wah dekhta hai.) wah tum hi dekh lena surprise hai. anu bench par bethi hai nishant anu ko dekhta hai.. gadi thodi aage chali jati hai.) 
निशांत : अरे सुन सुन में अभी कॉल करता हु।
(कार रिवर्स करता है डोर ओपन करता है इधर उधर देखता है। उसके बाद अनु के पास जाता है)
निशांत : हेय क्या हुआ?
(अनु की आंख से पानी निकलता है निशांत उसको देखता है फिर उसकी बाजू में बैठता है)
निशांत : बोलो क्या हुआ है तुम्हे?
(अनु कुछ बोल नहीं रही है। और अपने कपड़े सही कर रही है। और फिर अपना स्कर्ट दिखाती है स्कर्ट पर ब्लड है। निशांत समझ जाता है। वो सोचता है क्या करू क्या करू फिर अनु को देखता है। फिर रोड की और देखता है। देखता है एक लड़की एक्टिवा में आ रही है।)
(लड़की ने हेलमेट पहना हुआ है। 

Roshni :- Yaar aaj itna late ho gaya hai sir pakka aaj muje datenge.

निशांत उसकी तरफ जाता हैं) 

निशांत : हेय रुकिए। हेल्प प्लीज़

रोशनी :- Are yaar muje late ho gaya. (Aisa keh ke roshni nikal jati hai Nishant apne sar par sath rakhta hai thoda tension me hai) (Roshni mirrer me nishant ko dekhti hai vehicle rokti hai. pichhe dekhti hai

Roshni :- Ji boliye kya help chahiye.

(Nishant smile karta hai aur chalke roshni ke pass jata hai.

निशांत : जी वो सामने लड़की बैठी है वो अभी पीरियड में है रो रही है शायद उसको पता नही है की क्या करे सो क्या आप हेल्प कर सकते हो। उसके कपड़े भी खराब हो चुके है।
रोशनी : (रोशनी गाड़ी से उतरती है) Ha... Ha...सौर क्यू नही .... चलिए.....
(दोनो अनु के पास जाते है... रोशनी अनु के पास जाती है।)
रोशनी : निशांत के सामने देखती है।) अ... सुनो तुम मेडिकल से सेनेटरी पेड़ लेके आओना।
निशांत : हा.. हा .. दो मिनट अभी लेके आया।
( निशांत वहा से जाता है .. जल्दी से कार में बैठता है। गाड़ी चलाता है। मेडिकल देखता है गाड़ी रोकती है बाहर निकल के मेडिकल जाता है और सेनेटरी पेड़ खराड़ता है।)
निशांत : एक सेनेटरी पेड का पैकेट चाहिए।
(अंदर से कोई देता है। निशांत सेनेटरी पेड का पैकेट हाथ में लेके गाड़ी में बैठता है और फिर ड्राइव करता है। अनु ओर रोशनी जहा बैठा हैं वहा निशांत गाड़ी रोकता है।)
निशांत : तुम bacchhi को गाड़ी मे बिठा दो।
(रोशनी कार को विंडो साइड जाती है। पर सुनिए ब्लड ज्यादा लीकेज हुआ है आपकी गाड़ी खराब होगी।)
निशांत : अरे इट्स ओके में वॉश करवा लूंगा आप उसको जल्दी से गाड़ी में बिठाओ।
(रोशनी अनु का हाथ पकड़े उसको गाड़ी में बिठाती है)
निशांत : (गाड़ी चालू करता है और वहा से निकलता है।) (Gadi chalate wakt Nishant mirrer me dekhta hai Anu tension me hai yah dekhke nishant gadi ki speed badhata hai.) wah gadi chalate chalate ek dhaba dekhta hai wah pe padhta hai ledies washroom. roshni bhi ye dekhti hai. Nishant gadi rokta hai door open karke bahar nikalta hai. roshni bhi bahar nikalti hai. anu ko dekhke kehti hai.

Roshni :- Aao ajav bahar. (Anu bahar aati hai.) Nishant side ka door open karta hai. senetary pad nikalta hai. aur roshni ko deta hai. Roshni Anu ko leke washroom ki aur jari hai. 

(अनु वाशरूम का डोर ओपन करती है रोशनी उसको सेनेटरी पेड़ देती है अनु डोर क्लोज करती है।) 

Nishant Chai vala hai waha jata hai aur kehta hai.

Nishant :- Bhaiya ek cuting dedo.

(Nishant chai pi raha hai achanak se usee yaad aata hai wah apni chai table pe adhuri chod ke gadi ki aur chalta hai. key se gadi ka lock kholta hai. door open karta hai, red color ka jo gift hai usko dekhta hai, gift open karta hai. usme ek dress hai wah nikal ke nishant roshni ke pass jata hai, aur usko deta hai. roshni dress leti hai, door nock karti hai Anu door open karti hai dress leti hai. Anu dress change karke bahar aati hai.

अनु के फेस पर स्माइल है निशांत और रोशनी भी हैपी है। तीनो फिर से गाड़ी में बैठते है। निशांत अनु को घर ड्रॉप करता है)
निशांत : अब में आपको आपकी एक्टिवा तक छोड़ देता हु।
रोशनी : जी
(अनु जा रही है अचानक से भागती हुई कार की विंडो तक आती है)
अनु : थैंक्यू सो मच भैय्या। bhaiya apka naam ?

Nishant (Smiled) :- I am Nishant (रोशनी को देखती है) थैंक्यू दी... dii apka..

Roshni :- (Smiled) I an Roshni.

Roshni and Nishant :- Aur tumhara naam ?

Anu :- Anushka sab muje anu kehte hai.

Nishant :- (Smiled) By take care Anu. 

(Anu walk karke aa rhi hai chehre pe smile hai.)

Roshni smile karti hai.

Nishant Drive karta hai 


Tuesday, 6 April 2021

चप्पल की सिलाई ने जिंदगी की सिलाई कर दी।

 Character :- 4 

1 husband  :-  Vijay

2 wife  :- Megha 

3 little boy :- 

4 Boy :- Ravi 

एक बंध कमरा है मिडल में बेड है ... बाजु में एक टेबल है टेबल पर एक पानी का ग्लास है। मिडल में बेड पर विजय बेटा है। विजय उदास है थोड़ा सोच रहा है। खड़ा होता है रूम में चक्कर लगाता है। फिर से बैठता है। अपना फोन निकलता है किसका नम्बर निकलता है डायल करता है फिर फोन बंध कर देता है फिर से खड़ा होता है पानी का ग्लास लेता है पूरा पानी पी जाता है। और लाइट कभी ऑन कभी ऑफ करता है। फिर अचानक से फटाक से डोर ओपन करता है । और बाहर निकलता है। बाहर निकलते ही वह अपनी टूटी हुई चप्पल पहेंता है। चप्पल टूटी हुई है इसीलिए पहेंने में थोड़ी दिक्कत होती है। जैसे ही एक स्टेप आगे बढ़ता है मेघा बाहर आती है। 

मेघा : सुनिए।

विजय:— (थोड़ा मुड़के) हा....

मेघा : कहा जा रहे हो आप?

विजय : बोल नही पा रहा है बोलने की कोशिश करता है मेघा से आंखे नही मिला पा रहा है।

अरे वो तो ये मेरा चप्पल टूट गया है तो सोचा सिलाई करवा लू और एक जॉब की भी बात करनी है तो जा रहा हु।

मेघा : ठीक है जल्दी आना

विजय : (सर हिलता है और निकल जाता है।)

(विजय वॉक करते करते एक नदी किनारे आता है ओर वहा एक शोप है वहा से सिंगदाने लेता है 3 4 सिक्के देता है फिर से किनारे की तट पर बैठता है धीरे धीरे दाना खाता है। जैसे ही दाना खत्म होने को है तब उसकी नजर जिस कागज में दाने  है उसी कागज में पड़ती है कागल में वो पढ़ता है की आर्थिक परिस्थिति सही नही होने के कारण एक युवान ने नदी में कूद कर की आत्महत्या। विजय उस कागज को देखता रहता है और फिर पानी में देखता है वह कागज हाथ में लेके खड़ा होता है। ओर ब्रिज की और चलने लगता है। चलते चलते ब्रिज के बीच पहुंच जाता है। वहा से विजय नीचे उछलते पानी को देखता है। अपनी आंखो में आ रहे आंसू को रोकने की कोशिश करता है। अंदर ही अंदर घुटन महसूस करता है। हाथ में रहा कागज देखता है। ऊपर आकाश को और देखता है और बोलता है!)

वॉइस ओवर :

भगवान मुझे पता है में जो कर रहा हु वह गलत है मुझे माफ करना अब मुझसे नही हो पाएगा।

विजय एक पैर ब्रिज की रेलिंग पर रखता है। काला अंधेरा देखता है  पानी को देखता है। उसकी निगाहों के सामने ब्लर उसकी वाइफ हस्ती हुई दिखाई देती है। फिर पानी में देखता है फिर से नजर के सामने अपना छोटा बच्चा दिखता है फिर पानी देखता है। अपने आंसू को रोक नहीं पा रहा है। 

जैसे ही वह कूद ने जाता है तभी पीछे से एक छोटा बच्चा आता है। 

रवि : अंकल लगता है आपकी चप्पल टूट गई है दीजिए अभी सिलाई कर देता हु।

विजय : अपना पैर नीचे करता है और अपने पीछे रवि को देख कर रोने लगता है।

रवि : अंकल आप रो क्यूं रहे हो?

विजय : (रोते रोते बोलता है) मेरे पास पैसे नहीं है। 

रवि : अरे अंकल उसमे क्या हुआ पैसे बाद में दे देना ओर वैसे टूटी हुई चप्पल थोड़ी ना पहेंते है दीजिए चप्पल

विजय उसको देखता है।

रवि : अंकल आप टेंशन बहुत लेते हो मेरी फि लाखो में थोड़ी है। की आप नही दोगे तो में मर जाऊंगा। ये चप्पल सही हो जायेगा तो आप मुझे याद करोगे और क्या चाहिए..

लो ये चप्पल पहनो और आपका टूटा हुआ चप्पल दो मुझे अभी ठीक कर देता हु।

विजय : बाजू में पड़ा एक चप्पल पहेंता है और टूटा हुआ चप्पल निकाल के रवि को देता है।

रवि सिलाई कर रहा है उसकी बाजू में विजय बैठ जाता है और फिर से उसका बेटा और वाइफ उसकी नजर के सामने आती है 

तभी रवि सिलाई काम पूरा करता है 

रवि : लो अंकल ये आपका चप्पल अब ये चप्पल को दो साल तक कुछ नही होगा 

विजय : वाह क्या खूब कलाकारी है! अब बोल कितना हुआ?

रवि : अंकल आपके पास पैसे ही नही है तो क्या दोगे।

विजय : अच्छा तो यह बता तू कहा पे मिलेगा?

रवि : वो सामने जगह दिखती है वहा पे में बैठता हु हर रोज

विजय : अच्छा तो फिर मिलेंगे तब बताना की कितना देना है।

रवि : रवि विजय को देखता रहता है फिर बोलता है अंकल एक बात बोलू कुछ भी हो पर ये पुल पर दुबारा मत आना मुझे बस इतना ही चाहिए विजय उसको देखता ही रहा....

रवि खड़ा हुआ और उसकी चीजे बैग में डालने लगा।

विजय : चप्पल निकालता है और अपना चप्पल पहेंता है 

विजय : (निकाली हुई चप्पल को देखके बोलता है)अच्छी सिलाई करता है तो यह चप्पल क्यू टूटा हुआ है उसको भी सही कर दे

रवि : उसके बोलने दर्द है कैसे भी करके बोलता है वह मेरे पापा की चप्पल है। उसकी निशानी है। कहके मुंह फेर लेता है। 

विजय : क्यू तुम्हारे पापा कहा है? 

रवि : नदी के सामने देख कर बोलता है दस दिन पहले इसी नदी मे से उसकी लाश मिली थी उसने इसी पुल पर से आत्महत्या की थी। पेपर में भी आया था। उसका एक पैर का चप्पल यही रह गया था।वह यहां सामने ही बूटपोलिश करते थे। कोरोना में घर की हालत बिगड़ गई और वह सहन नही कर पाए और और वह रोते रोते अटक जाता है।

फिर अपने आंसू पोछता है 

रवि : यह पुल पर कितने लोग आते है और अपनी जिंदगी समाप्त करते है ओर अपने परिवार को दुखी करके खुद सुखी होने चले जाते है उसको क्या पता होता है की उसके जाने के बाद घर की क्या हालत होती है। बिन बाप का बच्चा कैसे रहेगा। उसको क्या पता होता है की मुश्केली हर साल नही होती। उसको क्या पता होता है की दुख यानी मरना नहीं दुख के सामने लड़ना पड़ता है। दुख को मारना पड़ता है। खुद को नही। (और रोने लगता है) 

विजय : (रवि के आंसू को पोछ्ता है।) 

अंकल मैने यही सोचा कि में इस पुल पर इधर उधर टहलता रहूंगा कोई मरने आएगा तो उसको बचाने की कोशिश करूंगा किसी टूटी हुई जिंदगी को फिर से जोड़ने की कोशिश करता रहूंगा। बोलते बोलते वह चला जाता है।

विजय : उसको देखता है और फिर अपने चप्पल को देखता है फिर से रवि जा रहा है उसको देखता है चेहरे पर मुस्कान है और रवि को सैल्यूट करता है।

- अलिशा





                         

 बहुत दिनों के बाद आज में कुछ लिख रही हु, दिल में इतना कुछ भर के रखा है, समझ में नहीं आ रहा है की क्या करू