Tuesday 6 April 2021

चप्पल की सिलाई ने जिंदगी की सिलाई कर दी।

 Character :- 4 

1 husband  :-  Vijay

2 wife  :- Megha 

3 little boy :- 

4 Boy :- Ravi 

एक बंध कमरा है मिडल में बेड है ... बाजु में एक टेबल है टेबल पर एक पानी का ग्लास है। मिडल में बेड पर विजय बेटा है। विजय उदास है थोड़ा सोच रहा है। खड़ा होता है रूम में चक्कर लगाता है। फिर से बैठता है। अपना फोन निकलता है किसका नम्बर निकलता है डायल करता है फिर फोन बंध कर देता है फिर से खड़ा होता है पानी का ग्लास लेता है पूरा पानी पी जाता है। और लाइट कभी ऑन कभी ऑफ करता है। फिर अचानक से फटाक से डोर ओपन करता है । और बाहर निकलता है। बाहर निकलते ही वह अपनी टूटी हुई चप्पल पहेंता है। चप्पल टूटी हुई है इसीलिए पहेंने में थोड़ी दिक्कत होती है। जैसे ही एक स्टेप आगे बढ़ता है मेघा बाहर आती है। 

मेघा : सुनिए।

विजय:— (थोड़ा मुड़के) हा....

मेघा : कहा जा रहे हो आप?

विजय : बोल नही पा रहा है बोलने की कोशिश करता है मेघा से आंखे नही मिला पा रहा है।

अरे वो तो ये मेरा चप्पल टूट गया है तो सोचा सिलाई करवा लू और एक जॉब की भी बात करनी है तो जा रहा हु।

मेघा : ठीक है जल्दी आना

विजय : (सर हिलता है और निकल जाता है।)

(विजय वॉक करते करते एक नदी किनारे आता है ओर वहा एक शोप है वहा से सिंगदाने लेता है 3 4 सिक्के देता है फिर से किनारे की तट पर बैठता है धीरे धीरे दाना खाता है। जैसे ही दाना खत्म होने को है तब उसकी नजर जिस कागज में दाने  है उसी कागज में पड़ती है कागल में वो पढ़ता है की आर्थिक परिस्थिति सही नही होने के कारण एक युवान ने नदी में कूद कर की आत्महत्या। विजय उस कागज को देखता रहता है और फिर पानी में देखता है वह कागज हाथ में लेके खड़ा होता है। ओर ब्रिज की और चलने लगता है। चलते चलते ब्रिज के बीच पहुंच जाता है। वहा से विजय नीचे उछलते पानी को देखता है। अपनी आंखो में आ रहे आंसू को रोकने की कोशिश करता है। अंदर ही अंदर घुटन महसूस करता है। हाथ में रहा कागज देखता है। ऊपर आकाश को और देखता है और बोलता है!)

वॉइस ओवर :

भगवान मुझे पता है में जो कर रहा हु वह गलत है मुझे माफ करना अब मुझसे नही हो पाएगा।

विजय एक पैर ब्रिज की रेलिंग पर रखता है। काला अंधेरा देखता है  पानी को देखता है। उसकी निगाहों के सामने ब्लर उसकी वाइफ हस्ती हुई दिखाई देती है। फिर पानी में देखता है फिर से नजर के सामने अपना छोटा बच्चा दिखता है फिर पानी देखता है। अपने आंसू को रोक नहीं पा रहा है। 

जैसे ही वह कूद ने जाता है तभी पीछे से एक छोटा बच्चा आता है। 

रवि : अंकल लगता है आपकी चप्पल टूट गई है दीजिए अभी सिलाई कर देता हु।

विजय : अपना पैर नीचे करता है और अपने पीछे रवि को देख कर रोने लगता है।

रवि : अंकल आप रो क्यूं रहे हो?

विजय : (रोते रोते बोलता है) मेरे पास पैसे नहीं है। 

रवि : अरे अंकल उसमे क्या हुआ पैसे बाद में दे देना ओर वैसे टूटी हुई चप्पल थोड़ी ना पहेंते है दीजिए चप्पल

विजय उसको देखता है।

रवि : अंकल आप टेंशन बहुत लेते हो मेरी फि लाखो में थोड़ी है। की आप नही दोगे तो में मर जाऊंगा। ये चप्पल सही हो जायेगा तो आप मुझे याद करोगे और क्या चाहिए..

लो ये चप्पल पहनो और आपका टूटा हुआ चप्पल दो मुझे अभी ठीक कर देता हु।

विजय : बाजू में पड़ा एक चप्पल पहेंता है और टूटा हुआ चप्पल निकाल के रवि को देता है।

रवि सिलाई कर रहा है उसकी बाजू में विजय बैठ जाता है और फिर से उसका बेटा और वाइफ उसकी नजर के सामने आती है 

तभी रवि सिलाई काम पूरा करता है 

रवि : लो अंकल ये आपका चप्पल अब ये चप्पल को दो साल तक कुछ नही होगा 

विजय : वाह क्या खूब कलाकारी है! अब बोल कितना हुआ?

रवि : अंकल आपके पास पैसे ही नही है तो क्या दोगे।

विजय : अच्छा तो यह बता तू कहा पे मिलेगा?

रवि : वो सामने जगह दिखती है वहा पे में बैठता हु हर रोज

विजय : अच्छा तो फिर मिलेंगे तब बताना की कितना देना है।

रवि : रवि विजय को देखता रहता है फिर बोलता है अंकल एक बात बोलू कुछ भी हो पर ये पुल पर दुबारा मत आना मुझे बस इतना ही चाहिए विजय उसको देखता ही रहा....

रवि खड़ा हुआ और उसकी चीजे बैग में डालने लगा।

विजय : चप्पल निकालता है और अपना चप्पल पहेंता है 

विजय : (निकाली हुई चप्पल को देखके बोलता है)अच्छी सिलाई करता है तो यह चप्पल क्यू टूटा हुआ है उसको भी सही कर दे

रवि : उसके बोलने दर्द है कैसे भी करके बोलता है वह मेरे पापा की चप्पल है। उसकी निशानी है। कहके मुंह फेर लेता है। 

विजय : क्यू तुम्हारे पापा कहा है? 

रवि : नदी के सामने देख कर बोलता है दस दिन पहले इसी नदी मे से उसकी लाश मिली थी उसने इसी पुल पर से आत्महत्या की थी। पेपर में भी आया था। उसका एक पैर का चप्पल यही रह गया था।वह यहां सामने ही बूटपोलिश करते थे। कोरोना में घर की हालत बिगड़ गई और वह सहन नही कर पाए और और वह रोते रोते अटक जाता है।

फिर अपने आंसू पोछता है 

रवि : यह पुल पर कितने लोग आते है और अपनी जिंदगी समाप्त करते है ओर अपने परिवार को दुखी करके खुद सुखी होने चले जाते है उसको क्या पता होता है की उसके जाने के बाद घर की क्या हालत होती है। बिन बाप का बच्चा कैसे रहेगा। उसको क्या पता होता है की मुश्केली हर साल नही होती। उसको क्या पता होता है की दुख यानी मरना नहीं दुख के सामने लड़ना पड़ता है। दुख को मारना पड़ता है। खुद को नही। (और रोने लगता है) 

विजय : (रवि के आंसू को पोछ्ता है।) 

अंकल मैने यही सोचा कि में इस पुल पर इधर उधर टहलता रहूंगा कोई मरने आएगा तो उसको बचाने की कोशिश करूंगा किसी टूटी हुई जिंदगी को फिर से जोड़ने की कोशिश करता रहूंगा। बोलते बोलते वह चला जाता है।

विजय : उसको देखता है और फिर अपने चप्पल को देखता है फिर से रवि जा रहा है उसको देखता है चेहरे पर मुस्कान है और रवि को सैल्यूट करता है।

- अलिशा





                         

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 बहुत दिनों के बाद आज में कुछ लिख रही हु, दिल में इतना कुछ भर के रखा है, समझ में नहीं आ रहा है की क्या करू