वो ख्वाइश भी सही नहीं
जो मुमकिन हो ना सके।
वो यादें भी सही नहीं
जो साथ रह ना सके।
वो प्यार भी सही नहीं
जो मुस्कुराहट बन ना सके।
वो तन्हाइयां भी सही नहीं
जो इस कदर रुला ना सकेे।
वो ख्वाब भी सही नहीं
जो खुली आंखो से पूरे ना हो सके। - अलीशा
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