कभी तेरी दहलीज तक नहीं आऊंगी
चाहके भी कभी तुझे अपना नहीं कहूँगी
खुद मिट जाउंगी खुद मर जाऊँगी
तेरे लिए तो सौ झूठ बोल जाउंगी
याद रखना
तेरी हर एक हा में हा थी
और हर एक ना में ना थी
बहुत दिनों के बाद आज में कुछ लिख रही हु, दिल में इतना कुछ भर के रखा है, समझ में नहीं आ रहा है की क्या करू
No comments:
Post a Comment